ये साजिश है जिंदगानी की
ले लिया इश्क बन्दे से,
लूट लीया चयन-ओ-करार ,
मर्र्के भी नह मरने दी ज़ुल्मी दुनिया ने ,
दे दीया सबब-ऐ-इंकार प्यार ने,
दुनिया ने भी किया इनकार अपनाने से,
बेदर्दी सनम ने ले लिया जान उसकी,
बेरहमी दुनिया ने मार्के भी न जीने दीया ,
जाने कब बुझेगी यह आग जुदाई की,
जानेमन ,
इश्क कभी न करना अब कभी,
इश्क न जीने देता है, न ही मरने,
अगर जिंदा रहना है तोह भूल जाईये रसम-ऐ-दुनिया ,
और जीलीजिया जीवन खुशी में , और खुशी से॥
Tuesday, May 27, 2008
Alvida
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